प्रशासन की शह पर प्रतिदिन काटे जा रहे 1200 पशु








































 

बिना एनओसी के ही हरौड़ा में चलाई जा रही है एएलएम मीट फैक्ट्री, लोगों में आक्रोश

योगीराज में भी नहीं थम रहा अवैध पशुवध, स्थानीय लोगों ने दी तालाबंदी की चेतावनी

फैक्ट्री की गंदगी से फैलने वाली बीमारी से एक माह में ही दर्जनों लोगों की हुई है मौत 

सहारनपुर (दै.अन्त तक): जिला अवैध पशु वध के लिए प्रदेशभर में अव्वल स्थान प्राप्त कर चुका है। आलम यह है कि यहां हरौड़ा स्थित एएलएम मीट फैक्ट्री में हजारों की संख्या में पशुओं का वध किया जा रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि विगत तीन माह से फैक्ट्री के पास पशुवध की एनओसी भी नहीं है। इतना ही नहीं ना तो वहां वाटर ट्रीटमेंट प्लांट काम कर रहा है ना ही पशुवध के बाद निकलने वाले खराब मांस व हड्डियों के निस्तारण की कोई व्यवस्था है। हजारों लीटर खून जहां विभिन्न बड़े बोर कर सीधे जमीन के नीचे जल में प्रवाहित किया जा रहा है, वहीं कचरा खेतों में गेरे जाने से बड़ी संख्या में किसानंों की फसलें बरबाद हो चुकी है। इतना ही नहीं खून व कचरा बड़े पैमाने पर हिंडन में प्रवाहित किये जाने पर लाखों रुपये की लागत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रौजेक्ट के तहत लगाये गये हजारों पेड़ बी इससे सूख गये हैं। बहरहाल, फैक्ट्री स्वामी के फार्म हाउस में पहुंचकर मौज-मस्ती में डूबे अफसर इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। फैक्ट्री के कारण होने वाली गंदगी से फैलने वाली बीमारियों से यहां एक माह में एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 

पांच सौ करोड़ का टर्नओवर

जानकर हैरत होगी कि सहारनपुर के देहरादून रोड स्थित हरौड़ा में स्थापित एएलएम मीट प्लांट में प्रतिदिन 15 सौ से अधिक पशुओं का वध किया जा रहा है। यह संख्या पूर्व में फैक्ट्री स्वामियों को दी गई वध की अनुमति की संख्या से पाचं गुणा से भी ज्यादा है। आलम यह है कि रात के अंधेरे में बड़ी संख्या में पशुओं का वध कर सुबह ही वहां से मांस को निकाल दिया जाता है। सूत्रों की माने तो इस तरह से फैक्ट्री पांच सौ करोड़ रुपये से अधिक का सालाना कारोबार कर रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि ज्यादातर माल दो नंबर में भेजा जा रहा है। ऐसा ही एक मामला उस समय उजागर हुआ जबकि दो नंबर में डेढ़ करोड़ रुपये का माल फैक्ट्री स्वामियों ने दिल्ली के एक मांस कारोबारी को भेज दिया। उसने पैसे नहीं दिये तो मालिकान पक्ष में हड़कंप मच गया। इस मामले में थाना कुतुबशेर पर तहरीर दी गई। जब थाना पुलिस ने मांस के संबंध में कागजात मांगे तो मामले मको गोलमोल कर दिया गया। बहरहाल यह मामला यहां बडे अधिकारियों के संज्ञान में हैं। पर आगे की कार्रवाई रोकी गई है। 

400 मौतों पर भी जिला प्रशासन चुप्प

चौंकाने वाली बात यह है कि विगत कुछ वर्षों में इस मांस फैक्ट्री के कारण हरोड़ा समेत आसपास के 20 से ज्यादा गांवों का पानी दूषित हो चुका है। आबोहवा इस कदर दुर्गंध से भरी हुई है कि वहां रहना दूभर हो गया है और और आसपास के उद्धोग धंधे भी चौपट हो रहे हैं। पूर्व में सपा व बसपा की सरकारों के समय में लोगों को किसी तरह की कार्रवाई की उम्मीद नहीं थी, पर अब भाजपा राज में भी कार्रवाई नहीं की जा रही है। यह स्थिति तब है जबकि विगत कुछ वर्षों में ही दूषित जल पीने के कारण क्षेत्र के चार सौ से ज्यादा लोगों की कैंसर समेत अन्य बीमारियों में मौत हो गई है। निरीक्षण को आने वाली स्वास्थ्य टीमें भी इसकी पुष्टि कर चुकी है, पर फैक्ट्री प्रशासन के विरुध कोई कार्रवाई नहीं की गई है। 

           विरोध प्रदर्शन से भी सरकार नहीं चेती

ऐसा नहीं है कि इस मामले में स्थानीय लोग व राजनीतिज्ञों ने कोई आवाज मुखर नहीं की, बल्कि कई बार स्थानीय लोग फैक्ट्री गेट पर बैठकर आंदोलन कर चुके हैं, राजनीतिज्ञ भी इसके खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं, पर बावजूद इसके क्योंकि कार्रवाई अफसरों को करनी है और ज्यादातर अफसर प्रबंधतंत्र की तरफ से मिलने वाली खैरात के बोझ तले दबे हुए हैं, ऐसे में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिला प्रधान संगठन के अध्यक्ष सतबीर यादव स्पष्ट चेतावनी दे चुके हैं कि जिला प्रशासन की मिलीभगत से योगीराज में अवैध मांस फैक्ट्री में प्रतिदिन हजारों पशुओं का वध किया जा रहा है, पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसे में प्रधान संगठन की अगुवाई में शीघ्र ही हजारों ग्रामीण फैक्ट्री पर आंदोलन का शंखनाद करेंगे और यूपी सरकार की दोगली नीति को उजागर किया जाएगा। उधर, भाजपा किसाना मोर्चा के जिलाध्यक्ष्ी वीरेंद्र पुंडीर ने भी चेतावनी दी कि यदि भ्रष्ट अफसरों ने दोषी फैक्ट्री प्रबंधतंत्र पर कड़ी कार्रवाई नहीं की और घिनौना कार्य नहीं रोका तो परिणाम खतरनाक भुगतने पड़ेंगे। 

जोर पकड़ रही क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी को हटाने की मांग

अनेक लोगों ने मांग की है कि क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी के संरक्षण के चलते ही बड़े पैमाने पर फर्जी रुप से एएलएम को चलाकर पशुओं का वध किया जा रहा है। एक तरफ क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी श्री मौर्य छोटे-छोटे कारखानेवालों को नोटिस देकर उनका शोषण करते रहते हैं, वहीं दूसरी तरफ बड़े पैमाने पर बिना एनओसी के चलने वाली एएलएम फैक्ट्री में योगीराज में दो वर्ष से कोई जांच नहीं की गई है। प्रदूषण अधिकारी सिर्फ फैक्ट्री को संरक्षण देने का काम कर रहे हैं। इसी तरह से जिला पशु अधिकारी कार्यालय के चिकित्सक भी कभी फैक्ट्री नहीं जाते हैं और पहले से ही पर्चियों पर हस्ताक्षर कर एंटीमार्टम की रिपोर्ट बना दी जाती है। ऐसे में ही फैक्ट्री संचालकों के हौंसले बड़े हुए हैं। लोगों ने मांग की कि अवैध रुप से बड़े पैमाने पर पशुओं के वध के मामले में तुरंत एफआईआर करवाई जाये, अन्यथा बड़ा आंदोलन किया जाएगा। 

 

 



 



 



 















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